मुंगेर का इतिहास और इनके प्रमुख जगह क्या आप जानते है ?

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munger quila 

 मुंगेर बिहार का एक जिला है दोस्तों मुंगेर जिले का  इतिहास अत्यंत ही समृद्धशाली और गौरवशाली रहा है। मुंगेर का  इतिहास उसके सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक पहचान को दिखलाता है ,साथियो ऋग्वेद में उल्लेख है कि मुंगेर की स्थापना प्रसिद्ध मुनि मुद्गल ऋषि ने किया था। 

  •  मुंगेर मुख्य रूप से बिहार के पूर्वी भाग में स्तिथ है। मुंगेर क्षेत्र का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। यह क्षेत्र पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं का हिस्सा रह चूका है.यहाँ पर बुद्ध और जैन परंपरा का भी प्रचलन था : मुंगेर में बुद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं।

मुगल काल: मुगलों के समय में भी इस क्षेत्र ने बहुत अच्छी  भूमिका निभाई। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें और किले बने, जो उस समय की समृद्धि का प्रतीक हैं।इनमे से एक है 

mir quasim ka kila
mir quasim ki surang 

मीर कासिम का किला :मीर कासिम के नाम पर एक बजार भी है जिनका नाम कासिमबाजार है मीर कासिम ने अंग्रेज़ो से बचने के लिए इस किले को बनवाया था। इस किले में जाने का मुख्यता तीन  रस्ते है जिनके नाम है मुख्य द्वार ,उत्तरी द्वार और दक्षिणी द्वार ,उन्होने दुश्मनो से बचने के लिए किले के चारो ओर 30 फीट गहरा गड्डा बनवाया भी बनवाया था। मीर कासिम ने किले के अंदर हे एक खुफिया रास्ता भी बनवाया था ,उस सुरंग का एक सिरा गंगा घाट की तरफ और दूसरा सिरा पीर नफा पहाड़ की तरफ निकलता है। 

  • मुंगेर के प्रसिद्द तीर्थ स्थल 

sita kund munger

सीता कुंड - सीता कुंड में गरम गुनगुना पानी निकलते रहता है और यही बात लोगो के मनो को मोहित करता है और सीता कुंड में लोग पिकनिक मनाने हर साल आते है साथ ही साथ यहाँ के लोगो द्वारा बतलाया जाता है की सीता कुंड में रामायण के सीता जी ने स्नान किया था ऐसा इसलिए की रावण की लंका से सीता जी के वापस आने पर राम जी ने सभी के कहने पर सीता जी को अगनि परीक्षा देने को कहा  था और अगनि परीक्षा  से पहले सीता जी ने इस कुंड में स्नान किया था इसलिए इसका नाम सीता कुंड पड़ा  यहाँ की मान्यताओं के अनुसार हिन्दू धर्म के लोगो का हर पर्व पर आने जाने का सिलसिला लगा हे रहता है। 

chandika sthan munger


चंडीका स्थान - पौराणिक कथाओ के अनुसार हिन्दू धर्म के अनुनाईयो का मानना है की चंडिका स्थान का निर्माण शिव जी के क्रोध से दुनिया को बचाने के लिए हुआ था। कहा  गया की जब सती  ने अपने मायके में अगनि कुंड की अगनि में अपने आप को नष्ठ कर लिया था तो शिव जी के क्रोध से उनका तृत्य नेत्र खुल गया था और चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ था तब शिव जी के मोह को नस्ट करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सटी के सरीर के टुकड़े किये इनमे से एक टुकड़ा जो की सटी की बाई आंख का था वह टुकड़ा मुंगेर में गिरा जो की बाद में दिव्या चंडिका महरानी जी के नाम से लोगो ने पूजा अर्चना शुरु  की स्थानीय लोककथाओं के अनुसार दूसरे शक्तिपीठ के अलावा चंडिका स्थान आंख की परेशानियों के लिये बहुत फेमस है।

  •  आईटीसी लिमिटेड ने 1910 में मुंगेर में सिगरेट फैक्ट्री को खोला था यह भारत की सबसे बड़ी सिगरेट फैक्ट्री है। 

sharwan bazar munger

श्रवन बाजार - मुंगेर में श्रवण बाजार को redlight एरिया बोलै जाता है क्योकि यहाँ पर देह का कारोबार चलता है यहाँ पर लोग अपनी शरीर की थकान मिटाने आते है श्रवण बाजार मुंगेर का सबसे बदनाम एरिया है यहाँ पर बच्चे भी आने को रहते है जो की गलत है प्रसाशन को ख्याल रखना चहिये यहाँ पर सेक्स वर्कर्स गली में बैठे मिलेंगे श्रवण बाजार को लोग ऐसे हे नज़रो से देखते है। 

british gun factory munger

ब्रिटिश गन फैक्ट्री - कहा  जाता है बंगाल के नबाब मीर कासिम ने मुंगेर में बन्दुक फैक्ट्री को को खोला था इसका मकसद अंगरेज़ों से लड़ने के लिए अपनी हथियार को मजबूत करना था इस लिए मीर कासिम ने एक कारीगर से एक कट्टे को बनवाया था जो की बहुत हे कारगर बना था। मुंगेर के बन्दुक फैक्ट्री में बन्दूक बनवाने वाले 3000 कुशल कारीगर हथियार बनाने का काम करते थे। जब चीन के साथ 1962  और पाकिस्तान युद्ध 1965 के युद्ध में भारत के सैनिको का मदद मुंगेर की इस बन्दूक फक्ट्री ने की थी। लेकिन अभी क समय में मुंगेर की बन्दूक फैक्ट्री अपने हे बदहाली पर रोना रो रहा है ऐसा  अभी के समय में अवैध हथियार बना रहा है जो की आये दिन खबरों में देखने को मिलती रहती है। अभी लइसेंस के समस्या को लेकर मुंगेर की बंदूक फैक्ट्री बंद होने की कगार पर है। 



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