आईएएस अधिकारी अनुदीप दुरिशेट्टी की प्रेरणादायक संघर्ष भरी कहानी

आईएएस अधिकारी  अनुदीप दुरिशेट्टी , जिन्होंने 2017 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की, उनकी कहानी संघर्ष, असफलताओं और अटूट संकल्प की मिसाल बतलाती है। उनकी यात्रा हर उस aspirant के लिए प्रेरणा है जो इस कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।  


साधारण पृष्ठभूमि से शुरुआत

अनुदीप तेलंगाना के छोटे से कस्बे मेटपल्ली से आते हैं। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अनुदीप के माता-पिता ने अनुशासन और कड़ी मेहनत की शिक्षा दी। उनके पिता तेलंगाना स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट में सहायक अभियंता हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं।  


एक मेधावी छात्र, अनुदीप ने बीआईटीएस पिलानी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। हालांकि, उनका सपना केवल एक आकर्षक नौकरी पाना नहीं था। उनका उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल होकर समाज की सेवा करना था।  


उनकी संघर्ष की शुरुआत 

यूपीएससी परीक्षा पास करना आसान नहीं है, और अनुदीप की यात्रा भी बेहद चुनौतीपूर्ण रही। उनका संघर्ष 2012 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार परीक्षा दी। कठिन तैयारी के बावजूद, वे प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके। यह एक ऐसा क्षण था जिसने उन्हें अपनी तैयारी के तरीकों पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया।  


अगले प्रयासों में छोटी सफलताएं और बड़ी असफलताएं रहीं। दूसरे प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स पास किया, लेकिन मुख्य परीक्षा में असफल हो गए। तीसरे प्रयास में वे साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन फाइनल चयन से चूक गए। इन असफलताओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।  


काम और तैयारी के बीच संतुलन

अनुदीप की कहानी को खास बनाता है उनका नौकरी और परीक्षा की तैयारी के बीच संतुलन। आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) के ग्रुप ए अधिकारी के रूप में काम करते हुए, उन्होंने IAS की तैयारी जारी रखी।  


उन्होंने देर रात तक पढ़ाई की और समय का सर्वोत्तम उपयोग किया। नौकरी की मांगों और पढ़ाई के दबाव ने उनकी दृढ़ता की परीक्षा ली।  


मोड़ का क्षण 

अनुदीप अपनी सफलता का श्रेय अपनी रणनीति में बड़े बदलाव को देते हैं। कोचिंग सामग्री पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय, उन्होंने सिलेबस को गहराई से समझा और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण किया।  


उन्होंने "स्मार्ट स्टडी" की रणनीति अपनाई, जिसमें गुणवत्ता को प्राथमिकता दी गई। उनका वैकल्पिक विषय **एंथ्रोपोलॉजी** उनकी ताकत बना, और उन्होंने अपनी लेखन शैली को बेहतर बनाने के लिए काफी अभ्यास किया।  


जीत का क्षण

2017 में, पांच वर्षों के अथक प्रयास और चार असफल प्रयासों के बाद, अनुदीप ने अपनी मंजिल पाई। उन्होंने यूपीएससी CSE में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की और पूरे देश में प्रेरणा का स्रोत बन गए।  


सफलता के बारे में पूछे जाने पर, अनुदीप ने इसे निरंतरता, आत्मविश्वास और असफलताओं से सीखने की क्षमता का परिणाम बताया।  


अनुदीप की यात्रा से सीख  

1. **धैर्य से मिलती है सफलता:** अनुदीप की बार-बार असफलताओं ने उन्हें हार मानने नहीं दी।  

2. **आत्म-मूल्यांकन जरूरी है:** खुद की तैयारी का विश्लेषण और सुधार करना सफलता की कुंजी है।  

3. **स्मार्ट वर्क का महत्व:** परीक्षा पैटर्न को समझना और सही क्षेत्रों पर ध्यान देना मेहनत जितना ही जरूरी है।  

4. **संतुलन संभव है:** दृढ़ संकल्प के साथ नौकरी और तैयारी को संतुलित किया जा सकता है।  


सफलता के बाद प्रभाव 

आईएएस अधिकारी के रूप में अनुदीप समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के अपने सपने को पूरा कर रहे हैं। उनकी कहानी हर यूपीएससी उम्मीदवार को प्रेरित करती है कि चाहे यात्रा कितनी भी कठिन हो, अपने लक्ष्य को पाने का विश्वास बनाए रखना चाहिए।  


अनुदीप दुरिशेट्टी के शब्दों में:  

सफलता असफलताओं की अनुपस्थिति नहीं है, यह असफलताओं से सीखने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने की दृढ़ता है।

उनकी यात्रा यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, धैर्य और दृढ़ निश्चय से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।  

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